Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2022 अनुपम प्रति

अनुपम कृति
ईश्वर की अनुपम कृति हूं मैं,
बड़े फुर्सत से रची हूं मैं।
कितने सुंदर भाव दिए,
करुणा दया ममता से उसने।
हमको तो ओतप्रोत करा,श
भावों का सुंदर सुमन दिया
एक प्यार भरा दिल उसने दिया।
घमंड करे इंसान यहां,
फिर वह करता मैं हूं ना।
मैं हूं मैं हूं करता रहता,
कर वह कुछ नहीं पाता।
उसकी मर्जी के बिना
पत्ता भी नहीं हिल पाता यहांँ।
मैं तो यहांँ रही नहीं किसी की
जिसने भी अंहकार किया।
बड़े-बड़े राजा महाराजाओं का
पल में चकनाचूर किया।
मैं रहीं नहीं किसी की
तुम तो अच्छे काम करो।
नाम तुम्हारा होगा गुणो से
किसी दुखिया का दुख दूर करो।
अच्छे कर्मों की मैं रखो
डरो सदा तुम कुकर्मों से,
मैं ,मैं सब बेकार यहांँ
शाश्वत एक सदा ईश्वर है।
   रचनाकार ✍️
   मधु अरोरा
   26.5.२०२२
 प्रतियोगिता हेतु 


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11 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:50 PM

बेहतरीन

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Reyaan

28-May-2022 12:03 AM

बहुत खूब

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Chirag chirag

27-May-2022 05:21 PM

Wah wah..

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